3 लाख में सिर्फ एक का होता है ये ब्लड ग्रुप, आरक्षक ने कैंसर पीड़ित की बचाई जान
रायपुर। रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कैंसर की मरीज के लिए छत्तीसगढ़ ब्लड डोनर फाउंडेशन के प्रयास से महज एक घंटे में दुर्लभ ब्लड ग्रुप का डोनर पहुंचा। बांबे ब्लड ग्रुप के नाम से जाना जाने वाला यह रक्त बहुत ही दुर्लभ है। हर तीन लाख लोगों में से किसी एक का यह होता है। ब्लड डोनर फाउंडेशन के विवेक साहू ने बताया कि निजी अस्पताल में भर्ती कैंसर पीड़िता कुंती का बांबे ब्लड ग्रुप होने के कारण उन्हें उन्हें रक्त नहीं मिल पा रहा था। इसकी जानकारी ब्लड डोनर फाउंडेशन की टीम को हुई तो उसने ब्लड डोनर की तलाश शुरू कर दी।
इसी बीच पता चला कि महासमुंद में पदस्थ पुलिस आरक्षक अमित बंजारे का बांबे ब्लड ग्रुप है। फाउंडेशन ने तुरंत अमित बंजारे से संपर्क किया। विधानसभा में ड्यूटी लगी होने के बाद भी आरक्षक ने पीड़ित की जान बचाने के लिए तुरंत अवकाश लेकर अस्पताल पहुंचकर रक्तदान किया।
ब्लड डोनर संस्था के विवेक का कहना है कि उनकी संस्था द्वारा 2012 से रक्तदान कर लोगों की जान बचाई जा रही है। इसमें प्रत्येक ब्लड ग्रुप के लोग तो मिल जाते हैं, लेकिन दुर्लभ बॉम्बे ब्लड ग्रुप के डोनर अभी तक 20 ही लोग मिले हैं। मरीज की मदद करने वालों में छत्तीसगढ़ ब्लड डोनर फाउंडेशन के सदस्य कीर्ति कुमार, सतीश ठाकुर, अमितेश गर्ग, विकास जायसवाल, श्रद्घा साहू भी मौके पर मौजूद रहे।
चिकित्सकों ने बताया कि 1952 में डॉ. वायएम भेंडे ने पहली बार इस दुर्लभ ब्लड ग्रुप को खोजा था। चिकित्सकों ने बताया कि एबी ब्लड ग्रुप में ए और बी एंटीजन मिलते हैं, इसी तरह ए ग्रुप में ए और बी ग्रुप में बी एंटीजन मिलता है। लेकिन एचएच या बॉम्बे ब्लड ग्रुप में कोई एंटीजन नहीं मिलता।