बच्चों की सफलता, युवाओं की नौकरी की राह आसान कर रहा नालंदा परिसर

बच्चों की सफलता, युवाओं की नौकरी की राह आसान कर रहा नालंदा परिसर


रायपुर। राजधानी के जीई रोड स्थित नालंदा परिसर बच्चों की सफलता और युवाओं के लिए नौकरी की राह आसान कर रहा है। इस परिसर में स्थित लाइब्रेरी में न सिर्फ बच्चे अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी करने के लिए विभिन्न किताबें पढ़ रहें हैं, बल्कि युवा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए दिन-रात पढ़ाई कर सपने को साकार कर रहे हैं। यहां अध्ययन करने वाले नौ युवा छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (पीएससी) की 2019 की परीक्षा पास कर सिविल सेवा में चयनित हुए हैं। सफलता की राह दिखा रही इस लाइब्रेरी की चर्चा पूरे शहर में है।


स्कूली बच्चों की बढ़ी रुचिः नालंदा परिसर जून 2018 में शुरू हुआ तभी से यह युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। अब स्कूली बच्चे भी नालंदा परिसर का रुख कर रहे हैं। यहां 213 स्कूली बच्चों ने पंजीयन कराया है। लाइब्रेरियन मंजुला जैन ने बताया कि पहले यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा ही नजर आते थे, लेकिन बीते कुछ दिनों से स्कूली विद्यार्थियों की चहल-पहल बढ़ी है। लाइब्रेरी से 10 वीं, 12वीं की परीक्षा की तैयारी के लिए बच्चे किताबें इशु करा रहे हैं।


विज्ञान-गणित की किताबों की अधिक मांग


मंजुला ने बताया कि 10 वीं, 12वीं के विद्यार्थी एनसीआरसी की किताबें सबसे ज्यादा इशु करा रहे हैं। विज्ञान और गणित की किताबों की मांग अधिक है। कुछ विद्यार्थी लाइब्रेरी, परिसर में पढ़ाई करते हैं, लेकिन अधिकतर बच्चे किताबें इशु कराकर चले जाते हैं।


पढ़ने को मिलता है बेहतर मौका


24 घंटे खुले रहने वाला नालंदा परिसर प्राकृतिक वातावरण से परिपूर्ण है। यहां कदम्ब, नीम, पीपल, बरगद, मौलश्री, कचनार सहित करीब 50 प्रजातियों के पेड़-पौधे हैं। यहां इंटरेक्टिव जोन भी है। युवा प्रकृति के सानिध्य में आउटडोर रीडिंग का आनंद उठा रहे हैं


 

सेंट्रल लाइब्रेरी में भी जा रहे विद्यार्थी


नालंदा परिसर के पास ही सेंट्रल लाइब्रेरी है। वहां भी इन दिनों स्कूली विद्यार्थी दिखाई दे रहे हैं। लाइब्रेरियन माधुरी खलखो के अनुसार बीते कुछ दिनों में स्कूली बच्चों की आवा-जाही बढ़ी है। यहां 10 वीं, 12 वीं के करीब 20 विद्यार्थियों ने पंजीयन कराया है। ज्यादातर विद्यार्थी फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायो की किताबें इशु करा रहे हैं। पहले स्कूल के विद्यार्थी अपने माता-पिता के साथ आते थे और उपन्यास पढ़ते थे, अभी सिलेबस की किताबें पढ़ रहे हैं।


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