बच्चों को पढ़ाएंगे विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ के खेल
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विभिन्न आयोजनों में कभी गोटा तो कभी भौंरे को हवा में उछालकर अपनी हथेलियों पर नचाते नजर आते हैं। अब इन परंपरागत और विलुप्त हो रहे खेलों के बारे में स्कूली बच्चे भी पढ़ेंगे। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) योग, नैतिक शिक्षा और खेल का मिला-जुला पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है।
बच्चों को तीन पीढ़ी पहले चर्चित खेलों से अवगत कराने के लिए पहली बार योग, नैतिक शिक्षा और परंपरागत खेल से मिलाजुला पाठ्यक्रम लागू होगा। इस पाठ्यक्रम पर राज्य शिक्षा स्थायी समिति ने अंतिम मुहर लगा दी है। आगामी शिक्षा सत्र से बच्चों को योग के विभिन्न आसन, नैतिक शिक्षा में यातायात, लैंगिग शोषण, थर्ड जेंडर आदि से संबंधित पाठ्यक्रम भी पढ़ने को मिलेंगे। सरकारी स्कूलों में नैतिक शिक्षा के लिए अलग से किताबें नहीं भेजी जाएंगी। इन किताबों को योग की किताबों के साथ ही मर्ज कर दिया जाएगा। इससे सरकार के करोड़ों रुपये बचेंगे, साथ ही बच्चों को बस्ते का अतिरिक्त बोझ भी नहीं होगा।
भौंराः भौंरा को लट्टू भी कहते हैं। इस खेल में लकड़ी के गोल टुकड़े में कील लगा होता है जिसे रस्सी से लपेटकर फेंकते हैं तो यह कील के सहारे गोल घूमने लगता है। एक-दूसरे के भौरे को गिराना होता है।
कंचाः कंचा को ही बॉटी कहा जाता है। इसे कई तरीके से खेला जाता है। दस,बीस, तीस,.....सौ तक गिनकर एक दूसरे के बॉंटी को मारते हैं। सभी अपने बॉटी से उसके बॉटी केनिशाना लगाते हैं
बित्ता कूदः बित्ता कूद में ऊंची कूद करना होता है।इस खेल को दो-दो की जोड़ी या सिंगल भी खेला जाता है।जब एक जोड़ी बैठकर पैर और बित्ते की मदद से ऊंचाई को बढ़ाते जाते हैं।बाकी जोड़ी बारी- बारी से उस ऊंचाई को कूदते हैं।
डंडा कोलालः गांव में गाय चराने वाले चरवाहा इसे अधिक खेलते हैं। कम से कम तीन से 10 तक की संख्या में खिलाड़ी होते हैं। निर्धारित स्थान पर खिलाड़ी बारी-बारी झुककर अपनी दोनों टांगों के बीच से अपने डंडे को ताकत लगाकर फेंकते हैं।
परी-पत्थर, अमरित-बिसः इस खेल में किसी को छूकर पत्थर या बिस बोलना पड़ता है। ऐसे स्थिति में पत्थर जैसे खड़ा रहना होता है।
गिल्ली-डंडाः इस खेल को सिंगल या जोड़ी, दोनों तरीके से खेला जाता है। लकड़ी का डंडा और लकड़ी का ही गिल्ली होता है। फिर एक बड़े गोले के अंदर से डंडे की सहायता से गिल्ली को मारा जाता है ।
गोटीः इस खेल को ज्यादातर लड़कियां ही खेलती हैं। इस खेल को दो तरीके से खेला जाता है और बैठकर खेला जाता है।बहुत सारे कंकड़ को बिखेरकर बारी-बारी से बीनते हैं।
तीन भागों में बंटी रहेगी किताब
किताब तीन भागों में बटी रहेगी। इसमें पहली से पांचवीं तक के बच्चों को एक ही किताब पढ़ाई जाएगी। छठवीं से आठवीं तक के बच्चों को भाग-दो और नौवीं व 10वीं के बच्चों के लिए भाग-तीन की किताब पढ़ाई जाएगी। गौरतलब है कि स्कूलों में हर बुधवार को योग कराने के लिए समय सारिणी निर्धारित है। योग के साथ-साथ अब बच्चों को नैतिक पाठ और खेलों से भी अवगत कराया जाएगा।
नैतिक मूल्य की किताब अलग से न छापकर अब योग की किताब में ही छापने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही परंपरागत खेल भी बच्चे किताब के माध्यम से जानेंगे।- जितेंद्र शुक्ला, संचालक, एससीईआरटी