करैरा। करैरा में बिना डायवर्सन के खेती की जमीन पर प्लाटिंग का कारोबार जोर-शोर से हो रहा है। ऐसा नहीं है कि इस मामले की जानकारी राजस्व व सब रजिस्ट्रार कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों, अधिकारियों को न हो, जानकारी होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसा भी बताया जा रहा है कि इन जमीन के कारोबार में कुछ शासकीय कर्मचारी भी साइलेंट पार्टनर के रूप में शामिल हैं।
एग्रीमेंट करवा काटी जा रही कॉलोनियां
खेती की जमीन पर कॉलोनी काटे के लिए जमीन कारोबारी पहले जिस व्यक्ति की जमीन होती है उसका एग्रीमेंट करवाते हैं। इसके बाद भूमि कारोबारी जमीन को समतल करवा कर उसमें प्लॉट बना दिए जाते हैं फिर भूमि कारोबार में कमीशन पर काम करने वाले एजेंट प्लॉट के खरीददारों को खोजते हैं और उन्हें बिना डायवर्सन व टाउन एंड कंट्री के नक्शा पास प्लॉट बेच दिए जाते हैं। इससे प्रशासन को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है।
करैरा तहसील में पदस्थ पटवारी और भू-कारोबारियों द्वारा काटे जा रहे प्लॉटों को खेती की जमीन में बिना डायवर्सन के कॉलोनिजिंग एक्ट को दरकिनार करके प्लॉट काट रहे हैं। पटवारियों से मिलकर नामांतरण करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा रहा है। नगर की भूमि नामांतरण पंजी और इन प्लाटिंग की गई जमीनों की जांच पड़ताल करा ली जाए तो इन बेची गई जमीनों से ज्यादा रकवों को सरकारी जमीनों पर प्लॉटिंग करके बेच डालने की एक नहीं बल्कि कई मामले सामने आ जाएंगे।
करैरा नगर के भू-कारोबारियों ने यहां करीब 40 जगहों पर उन भूमि रकबों जो इनके द्वारा एग्रीमेंट के तहत बिक़वाई गई है उनका रकवा और जमीनों से सटी सरकारी जमीनों को तक उन एग्रीमेंट सुदा भूमियों की आड़ में बिकवा दिया है। यदि इन जमीनों के मूल रकवों और कराई गई और रजिस्ट्रियों का मिलान करा लिया जाए और नजदीक के सरकारी नंबरों के एरिया के मिलान व सीमांकन कर दिए जाएं तो इनके धोखाधड़ी सामने आ जाएगी।
इनका कहना है
मुझ इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। अगर आप प्रमाणित तथ्य दो तो निश्चत ही कड़ी कार्रवाई इन भूमि कारोबारियों पर की जाएगी।
मनोज गढ़वाल, एसडीएम करैरा