कंपनी के खर्च पॉजिटिव हैं तो घाटे में होने के बाद भी मिलेगी फंडिंग
इंदौर । कई कंपनियों की बैलेंसशीट में घाटा दिखाई देता है, लेकिन फिर भी इन्हें बड़ी फाइनेंशियल कंपनियां फंडिंग कर देती हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनियों के ऑपरेशनल खर्च पॉजिटिव रहते हैं। डिस्काउंट और अन्य तरह की बातों का वैल्यूएशन करके कंपनियां फंडिंग दे देती हैं। कंपनियों को रन करते समय रिस्क का भी केलकुलेशन कर लेना चाहिए। यह कहना है सीए सार्थक डोसी का। स्टार्टअप हेडस्टार्ट कम्यूनिटी इंदौर द्वारा फाइनेंशियल प्लानिंग एंड मॉडलिंग फॉर योर स्टार्टअप विषय पर सेमिनार हुआ। इसमें स्टार्टअप को फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी शेयर की।
रोजमर्रा का सामान कंपनी के अकाउंट से न खरीदें
सार्थक डोसी ने बताया कि अक्सर देखने में आता है कि कंपनी के अधिकारी घर या रोजमर्रा में उपयोग आने वाला सामान भी कंपनी के अकाउंट से खरीद लेते हैं और बैंक में अपनी सैलरी वैसे ही रखी रहती है। ऐसा करने से बचना चाहिए। फाइनेंशियल रिपोर्ट बेहतर करने में इस तरह की बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। बिजनेस का इंश्योरेंस भी रिस्क को कम करने में सहायक होता है। कंपनी की शुरुआत एमएलसी या फंडिंग लेना हो तो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से काम की शुरुआत की जा सकती है। बैंकिंग में किए जाने वाले ट्रांजेक्शन भी कंपनी की फाइनेंशियल रिपोर्ट को प्रभावित करती है।
सीए आयुष कचोलिया ने कंपनियों के लिए मार्च एंडिंग में होने वाले प्रभाव बताए। बजट से कंपनियों पर किस तरह के प्रभाव आएंगे इसके बारे में भी जानकारी दी। जीएसटी से संबंधित काम और सरकार द्वारा दिए जाने वाले फायदे बताए। देश की कई कंपनियों में सेवा दे चुके अरूण राज 14 शहरों में जाकर वहां के स्टार्टअप कल्चर को समझ रहे हैं। उन्होंने बताया इंदौर स्टार्टअप इकोसिस्टम के मामले में देश में तीसरे नंबर पर दिखाई दे रहा है। कोची और लखनऊ में भी स्टार्टअप के लिए अच्छा माहौल है।