खिलाड़ियों का पलायन रोकने को नहीं उठे कदम
रायपुर। मुख्यमंत्री खिलाड़ी प्रोत्साहन योजना के लिए राज्य के बजट में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान सराहनीय कदम है। लेकिन राज्य में खेलों की मूलभूत समस्या खेल अधोसंरचना का अभाव, खिलाड़ियों के लिए जीविका की सुरक्षा अभाव, अच्छे प्रशिक्षकों का अभाव, निर्धन खिलाड़ियों के लिए आर्थिक सहायता का अभाव आदि हैं। इनके समाधान के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। खेल विकास प्राधिकरण के गठन के महीनों बाद भी अभी तक कोई ठोस कार्य योजना नहीं आ पाई है। ग्रामीण और जिला स्तर पर खेलों के विकास के लिए 'खेल प्रतिभाओं' का चयन कर उन्हें 'गोद लेने' के प्रावधान को भी बजट में शामिल किया जा सकता था। बजट को अधिक खेल उन्मुख बनाने के लिए जूनियर और सब जूनियर स्तर के खिलाड़ियों के लिए पृथक से कोष की व्यवस्था का प्रावधान भी होना चाहिए।
खेल संबंधी नीतिगत निर्णय लेने में खेल प्रशिक्षकों की भूमिका तय की जानी चाहिए। राज्य में खेल अधोसंरचना के निर्माण और विकास को न केवल गति देने, बल्कि नियत समय में उसे पूर्ण करने का प्रावधान भी बजट में आवश्यक है। खेल अधोसंरचना के रख-रखाव के लिए धन राशि उपलब्ध कराने की प्रक्रिया का सरलीकरण आवश्यक है। इन प्रावधानों के अभाव का ही परिणाम है कि राज्य निर्माण के 20 साल बाद भी हम खेल के क्षेत्र में केरल और गोवा जैसे छोटे राज्यों से भी पीछे हैं। इस बजट में खेलों की प्राथमिकता तय कर, राज्य के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की व्यवस्था का भी अभाव है। प्रदेश के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नौकरी की तलाश में पलायन कर रहे हैं। प्रदेश सरकार के पास इन्हें रोकने किसी तरह का प्रावधान नहीं है।
अनुराग दीक्षित, खेल, विशेषज्ञ