फ्लोराइड युक्त पानी पर विधायकों ने अपनी ही सरकार को सदन में घेरा
रायपुर। बस्तर संभाग में फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या पर विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेरा। कांग्रेस विधायक लखेश्वर बघेल और मोहन मरकाम ने मंत्री के जवान से असंतुष्ट होकर तीखे हमले किए। लाखेश्वर ने यहां तक कह दिया कि हम व्यवस्था बनवाने के लिए सवाल करते हैं, लेकिन पांच साल में कोई व्यवस्था ही नहीं बन पा रही है।
ऐसे में हम सवाल ही क्यों करें। यह पानी का मसला है, आदिवासी का मसला है, पानी का सवाल उठाते हैं, लेकिन कुछ नहीं होता। तो सवाल का मतलब क्या है। बघेल ने कहा कि सरकार गंभीर नहीं है। यह कोरोना वायरस से बड़ा मामला है। लोगों की शादियां नहीं हो रही हैं। संसदीय समिति जांच कराए, सभी तथ्य सामने आ जाएंगे।
बघेल के समर्थन में मोहन मरकाम ने कहा कि आजादी के इतने साल बाद भी यदि हम साफ पानी नहीं दे पा रहे हैं, यह शर्मिंदा करने वाला गंभीर मसला है, कोई जवाब है। सत्ता पक्ष के द्वारा इस मसले पर सरकार को घिरते देख विपक्ष ने भी विधायक लाखेश्वर बघेल और मोहन मरकाम का समर्थन करते हुए संसदीय समिति गठित करने की मांग करने लगा।
सरकार योजनाएं बनाएं, हम साथ हैं। विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने कहा कि मुझे पूरी जानकारी दीजिए, मैं व्यवस्था बनाता हूं। डॉ महंत ने मंत्री को यह निर्देश भी दिया कि जब बस्तर के दौरे पर जाएं, तो विधायक को साथ लेकर जाएं और उनके बताएं पांच गांव का दौरा करें।
मंत्री रूद्रगुरु ने जवाब दिया कि बस्तर के 323 से अधिक गांव में फ्लोराइड पीड़ित हैं। 32 गांव की 82 बसाहटों के 158 नलकूप फ्लोराइड आधिक्य से प्रभावित है। 108 ग्राम में दूषित पानी के कारण फ्लोरोसिस बीमारी हो रही है। 158 प्रभावित नलकूप में से 152 को बंद कर दिया गया है। पांच नलकूपों में सोलर आधारित फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाया गया है। गारंगा, जयबेल, सतोसार, चुआचुंड, बागराय, तेलगा, बड़े आरापुर में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई है।