सतरंग के लिए, होली विशेष

सतरंग के लिए, होली विशेष


रायपुर । देश के विभिन्न शहरों, गांवों में विविध परंपराओं के अनुसार होली का पर्व खुशियों और मस्ती के साथ मनाया जाता है। ऐसी ही एक अनूठी परंपरा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के हृदय स्थल सदरबाजार में 'सेठ नाथूराम' के बारात निकालने की निभाई जाती है। ऐसी परंपरा संपूर्ण छत्तीसगढ़ में कहीं और नहीं निभाई जाती। होली के चार दिन पहले सेठ नाथूराम की प्रतिमा को वाहन पर विराजित करके गाजे-बाजे के साथ बारात निकाली जाती है। बारात में युवा, बुजुर्ग राजस्थानी फाग गीत गाते और खुशियों से झूमते हुए सत्ती बाजार से निकलकर सदरबाजार स्थित नाहटा मार्केट पहुंचते हैं। यहां पर सेठ नाथूराम की प्रतिमा को विराजित करके पूजा-अर्चना की जाती है। लगातार पांच दिनों तक विधिवत पूजा, आरती करके देर रात तक फाग गीत गाकर खुशियां मनाने का दौर चलता है।


पिछले 45 सालों से बारात में शामिल हो रहे दिलीप शर्मा छापरवाल, ओमप्रकाश शर्मा, झुम्मर शर्मा, रघुनाथ शर्मा, जितेंद्र शर्मा बताते हैं कि बचपन से वे सदरबाजार की अनोखी परंपरा में भाग ले रहे हैं। उन्होंने अपने बुजुर्गों से सुना है कि यह परंपरा 190 साल से अनवरत निभाई जा रही है। पांच दिनों तक मचने वाली धूम में पूरा मोहल्ला उमड़ पड़ता है।


 

होली के दिन गोठ प्रसादी


रायपुर सराफा एसोसिएशन के हरख मालू बताते हैं कि होलिका दहन वाली पूरी रात फाग गीतों की महफिल सजती है। होली के दिन गोठ प्रसादी (भोजन) का आयोजन होता है। इसमें सैकड़ों लोग प्रसादी ग्रहण करने आते हैं। नाहटा मार्केट में सेठ नाथूराम की प्रतिमा रखने के लिए विशेष कमरा बना हुआ है। शाम को पूजा-अर्चना करके कमरे का पट बंद कर दिया जाता है। एक साल बाद फिर अगली होली पर्व पर ही पांच दिनों के लिए प्रतिमा की पूजा की जाती है।


 

'इलोजी' के नाम से मशहूर


सेठ नाथूराम की पूजा में पांच पीढ़ी से सेवा कर रहे ओमप्रकाश सेवग (ओम बाबा) बताते हैं कि उनके दादा-परदादा के जमाने से सेवा की जा रही है। वे स्वयं 45 साल से लगातार बारात में शामिल होने से लेकर होली के दिन बिदाई देने तक का लुत्फ उठा रहे हैं। बचपन में दादा ने बताया था कि सेठ नाथूराम को भगवान महादेव का अवतार माना जाता है। राजस्थान के बीकानेर इलाके में उन्हें 'इलोजी' के रूप में पूजा जाता है।


एकादशी के दिन निकलती है बारात


कई सालों से सेवा दे रहे रघुनाथ शर्मा ने बताया कि होली के पूर्व पड़ने वाली एकादशी तिथि पर सत्तीबाजार से सेठ नाथूराम की बारात निकाली जाती है। कई जगहों पर बारात का स्वागत ठंडाई, आइस्क्रीम, कुल्फी, नाश्ता से किया जाता है।


होली का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं दूर-दूर से


सेठ नाथूराम की होली का लुत्फ जिन्होंने बचपन में उठाया है, और अब बड़े शहरों में जाकर बस गए हैं, वे भी साल में एक बार होली का मजा लेने रायपुर अवश्य आते हैं।


लिंग के रूप में होती है पूजा


जिस तरह शिव मंदिरों में महादेव की पूजा शिव लिंग के रूप में होती है। उसी तरह सेठ नाथूराम उर्फ इलोजी की पूजा भी लिंग के रूप में की जाती है।


जिन्हें संतान नहीं वे मांगते हैं मन्नत


ऐसी मान्यता है कि जिनके संतान नहीं होती, वे संतान प्राप्ति की मन्नत मांगते हैं। कई लोगों की मन्नतें पूरी हुई है। यही वजह है कि सेठ नाथूराम उर्फ इलोजी पर सालों से लोगों की श्रद्धा है।


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