शहर से जंगल की ओर बढ़ रहे वन्यजीव प्रेमियों के कदम
इंदौर । बेशक भारत में कुछ वन्य प्राणियों की संख्या कम होती जा रही हो, उनका शिकार करने वाले नियमों और सुरक्षा के इंतजामों को धता बताते हुए चोरी छुपे शिकार कर भी लेते हों पर एक सच यह भी है कि इन वन्य प्राणियों की फिक्र करने वालों की संख्या भी अब बढ़ने लगी है। वन्य प्राणियों के शौकीन कभी सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़कर इनके संरक्षण का प्रयास करते नजर आ जाते हैं तो कभी अपने स्तर पर इनके संरक्षण की जागरूकता की बात करते हैं। जो ऐसा कुछ नहीं कर रहा वह भी कहीं न कहीं वन्य जीवों की अहमियत समझते हुए उन्हें करीब से जानने का प्रयास कर रहा है। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि शहर के पर्यटन प्रेमी जो पहले केवल महलों, एडवेंचर एक्टिविटी और विदेशों की रंगीन दुनिया देखने के लिए ही आतुर रहते थे उनमें से एक बड़ा वर्ग अब वन्य जीवों को करीब से जानने के लिए अभयारण्य की ओर रूख करने लगा है। शहर के पर्यटन प्रेमियों में से करीब 40 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो वाइल्ड लाइफ सेंचुरी जा रहे हैं। ये लोग केवल देश के ही वन्यजीव नहीं बल्कि विदेश के जंगलों की सैर भी कर रहे हैं।
वाइल्डलाइफ एंड नेचर कंजर्वेंसी संस्था के सचिव राजेश मंगल बताते हैं इस बार शहर में प्रवासी पक्षियों की संख्या करीब 50 प्रतिशत कम रही। इसकी कई वजह हो सकती हैं। बारिश के लंबे वक्त तक रहने और ज्यादा होने से कई गड्ढे तालाब में परिवर्तित हो गए और पक्षियों की संख्या घट गई। इसके अलावा सिरपुर, माचल, बोरानाखेड़ी, बडोदा दौलत में संख्या कम दिखी। मौसम का बदला मिजाज भी पक्षियों की आमद कम होने की मुख्य वजह रहा। राजस्थान की सांभर झील में लाखों की तादाद में पक्षियों का मरना भी प्रवासी पक्षियों के यहां कम आने की वजह रहा। यदि हमें वन्य प्राणियों को बचाना है खासतौर पर पक्षियों को और उनके हेबिटाट को बचाना है तो इनके आवास स्थलों पर इंसानों की आवाजाही कम करना होगी। एक वक्त था जब गुलावट में खासी संख्या में पक्षी नजर आते थे पर पर्यटन स्थल के रूप में इसके विकसित होने से भविष्य में इसका पक्षियों पर नकारात्मक असर दिख सकता है।
तो तेंदुए भी हो जाएंगे कम
नेचर एंड वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एंड अवेयरनेस सोसायटी के रवि शर्मा बताते हैं शहर के आसपास के जंगलों से लकड़बग्घे, भेड़िया, कृष्णमृग, चीतल तेजी से कम होते जा रहे हैं। बेशक अभी तेंदुए की संख्या बेहतर है लेकिन इंसानी बस्ती में हमला करने पर इन्हें अक्सर मार दिया जाता है। दोष तेंदुए से ज्यादा इंसानों का होता है क्योंकि हम वन्य क्षेत्र की तरफ बढ़ते हुए उसे रिहायशी क्षेत्र बनाने की कोशिश करते हैं। गर्मियों के दिनों में तेंदुए आदि की भोजन उपलब्धता कम हो जाती है और भोजन की तलाश उनकी बस्तियों में आकर खत्म होती है। रात में लोग घरों के बाहर सोते हैं और शिकार बन जाते हैं। हमारी संस्था ग्रामीणों को इस बारे में जागरूक कर रही है कि वे घरों के बाहर नहीं सोएं और सुरक्षा को लेकर भी सतर्क रहें। यदि अभी हम नहीं सचेत हुए तो तेंदुए भी कम हो जाएंगे।
संस्थाओं के साथ मिलकर करना होगा काम
द नेचर वॉलेंटियर्स ग्रुप के अध्यक्ष भालू मोंढ़े के अनुसार यदि वन्य जीवों को बचाना है तो उनके प्रति लोगों के मन में दिलचस्पी जगाना होगी। इसके लिए प्रदेश का वन विभाग वन्य पशुओं के हित में काम करने वाली संस्थाओं के विशेषज्ञों को अपने साथ लेकर काम करे। लोगों को जोड़ने के लिए स्पर्धा, वन्य जीवों पर आधारित फिल्म या डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन करे। बर्ड और वाइल्डलाइफ सर्वे में एनजीओ की मदद ले जिससे आम जनता की रुचि और सहभागिता दोनों बढ़ेगी। शहर की होटल्स में ऐसी बुकलेट्स रखी जाएं जिनमें यहां के वन्य प्राणियों, अभयारण्य आदि की जानकारियां हो ताकि उन्हें प्रमोट किया जा सके।
40 प्रतिशत इंदौरी की पसंद नेशनल पार्क
ट्रेवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया मप्र-छत्तीसगढ़ चेप्टर के अध्यक्ष हेमेंद्र सिंह जादौन के अनुसार शहर के पर्यटन प्रेमियों में से करीब 40 फीसदी लोग अभयारण्य जाना पसंद करने लगे हैं। 10 वर्ष पहले तक यहां जाने वालों की संख्या करीब 10 प्रतिशत, 6 साल पहले तक 20 प्रतिशत और आज 40 प्रतिशत हो गई है। निजी तौर पर ही नहीं बल्कि स्कूल, कॉलेज भी नेशनल पार्क के टूर प्लान करने लगे हैं। बढ़ा हुआ ग्राफ यह बताता है कि लोगों का वन्यजीवों के प्रति रूझान बढ़ा है। नेशनल पार्क जाने के लिए लोग 5 हजार से लेकर 30 हजार रुपये तक प्रतिदिन के हिसाब से खर्च कर रहे हैं। विदेश के नेशनल पार्क जाने वाले इंदौरी भी 20 से 25 प्रतिशत हैं।
विदेशी वन्यजीवों को देखने का भी क्रेज
टूर प्लानर टीके जोस बताते हैं इंदौर के लोग भारत में बांधवगढ़, कान्हा, रणथंभौर, गीर, कांजीरंगा, पेंच, जिमकॉर्बेट नेशनल पार्क को प्राथमिकता देते हैं। विदेश में वन्य जीवों को देखने वाले केन्या के मसईमारा, तंजानिया का सेरंगिटी, साउथ अफ्रीका के क्रुगर जाना पसंद करते हैं। नेशनल पार्क देखने के लिए लोग दोस्तों व परिवार के साथ भी जाते हैं। बाली में वेस्ट बाली नेशनल पार्क, सफारी के लिए तंजानिया भी खासा पसंद किया जाता है।