तस्वीरें जिनमें 'गेर' के बीच नजर आता रंगों से सराबोर अपनापन
इंदौर । 'लाल में हरा हरे में लाल, रंगों के आनंद में सब हुए बेहाल' यह शब्द हैं एक ऐसे फोटोग्राफर के जिसने शहर की उस रंगीन परंपरा को अपने कैमरे की नजर से दर्शाने का प्रयास किया है जो 'गेर' होने के कारण ही सभी को अपने रंग में रंग लेती है। सालों से जारी रंगने की यह परंपरा आज शहर और आसपास उतनी ही लोकप्रिय है जैसे बरसाने की लट्ठमार होली या झाबुआ का भगोरिया पर्व। फागुन की मस्ती का यह अंतिम दिन जिसमें पूरा शहर धुलेंडी से ज्यादा रंगीन हो जाता है उसे आर्किटेक्ट और फोटोग्राफर मनीष कुमट ने अपने कैमरे में कैद किया और मर्म कला ने इसे प्रदर्शित किया। रविवार से यह 15 दिनी फोटोग्राफी एक्जीबिशन प्रिंसेस बिजनेस पार्क में लगी।
प्रदर्शनी में मनीष कुमट ने जो फोटोग्राफ्स प्रदर्शित किए हैं उनसे न केवल पर्व की खूबसूरती नजर आती है बल्कि संदेश भी देती है। संदेश यही कि इस एक पर्व पर समाज का हर व्यक्ति फिर चाहे वह किसी भी जाति-धर्म का हो, उम्र-लिंग का हो या अमीर-गरीब हो सब एक ही रंग में रंग जाते हैं। अहं के मुखौटे उतारकर रंगों के आवरण ओढ़े हर शख्स इस गेर में अजनबी होकर भी चंद पलों के लिए ही सही दोस्त बन जाता है। यही समरसता होली के बाद भी रखी जाए। फोटोग्राफ्स के साथ मनीष कुमट ने उस दृश्य से संबंधित चंद पंक्तियां भी काव्य के रूप में लगाई हैं जिससे दृश्यों को शब्द भी मिल जाते हैं और दर्शक पर उनका प्रभाव और भी बढ़ जाता है।